जब हम भारत के म्यूच्यूअल फंड में निवेश करते हैं तो हम अच्छे तरीके से जानते हैं कि हम क्या कर रहे हैं लार्ज कैप फंड, मिड कैप, फ्लेक्सी कैप, एक्सपेंस स्ट्रक्चर,कंपनियों का पोर्टफोलियो और भी बहुत कुछ जानकारी होती है इसके ठीक उलट अंतर्राष्ट्रीय फंड्स अभी भी एक ब्लैक बॉक्स की तरह लगते हैं और ऐसे कई सवाल हैं जो उपभोक्ता इन फंड्स में बढ़ती हुई दिलचस्पी के बावजूद नज़रअंदाज़ कर रहे हैं|
इस लेख में हम अंतर्राष्ट्रीय म्यूच्यूअल फंड्स नाम के ब्लैक बॉक्स को खोलेंगे ऐसा करने के लिए हम सभी उपलब्ध अंतर्राष्ट्रीय फंड्स का गहराई से विश्लेषण करेंगे, और समझेंगे कि इन फंड्स को स्ट्रक्चर्ड कैसे किया जाता है इनका वास्तविक एक्सपेंस रेश्यो क्या है .. ये फंड्स कौन-कौन से देशों में निवेश करते हैं इनकी निवेश शैली क्या है और अंत में जानेंगे कि इन अंतर्राष्ट्रीय फंड्स में किस तरह निवेश किया जा सकता है?
इंटरनेशनल म्यूच्यूअल फंड क्या है?

एक अंतर्राष्ट्रीय इक्विटी फंड के लिए SEBI की परिभाषा यह है कि ऐसा फंड जिसमें किसी स्कीम के 80% से ज़्यादा एसेट किसी बाहर के देश की इक्विटी या इक्विटी से जुड़े एसेट में निवेश किए जाते हैं। इस परिभाषा के हिसाब से, वर्तमान में 44 अलग-अलग अंतर्राष्ट्रीय फंड्स हैं, जो एसेट में 15,000 करोड़ से ज़्यादा मैनेज करते हैं लेकिन लोगों को लगता है कि किसी बाहर के देश में स्कीम के 80% एसेट की परिभाषा काफी व्यापक है और इस केटेगरी को समझने के लिए किसी अच्छे तरीके की ज़रूरत है। और यही कारण है कि हमारी रिसर्च टीम ने इन 44 स्कीमों में से हर स्कीम को समझने और इन्हें व्यावहारिक क्षेत्रों में बांटने का काम किया। तो चलिए हमारे अध्ययन के पहले एरिया, मतलब इन अंतर्राष्ट्रीय फंड्स के स्ट्रक्चर से शुरुआत करते हैं।
Structures of International Mutual Funds
हम सभी ने इन-हाउस और आउटसोर्सिंग के बारे में तो सुना ही है। आमतौर पर म्यूच्यूअल फंड कंपनियां अपने फंड्स को आंतरिक रूप से मैनेज करती हैं। जिसका मतलब है कि AMC एक फंड मैनेजर नियुक्त करती है जो सक्रिय तरीके से स्टॉक, बॉन्ड और अन्य एसेट क्लास को खरीदने और बेचने के फैसले लेता है लेकिन जब अंतर्राष्ट्रीय फंड्स को मैनेज करने की बात आती है, तो इसका बहुत कुछ हिस्सा वास्तव में आउटसोर्स होता है। जब हम 44 अंतर्राष्ट्रीय फंड्स के यूनिवर्स को देखते हैं तो भारतीय AMC खुद सिर्फ 7 फंड्स ही मैनेज करती हैं जबकि बाकी 37 फंड को फंड ऑफ फंड्स स्ट्रक्चर के तहत मैनेज किया जाता है।
फंड ऑफ फंड्स या FOF एक ऐसा म्यूच्यूअल फंड है जो अन्य म्यूच्यूअल फंड स्कीम में निवेश करता है उदाहरण के लिए हाल ही में लॉन्च किया गया SBI इंटरनेशनल एक्सेस US इक्विटी फंड, भारतीय निवेशकों से इकट्ठा किए गए पैसे Amundi US Pioneer Fund में निवेश करता है और फिर Amundi फंड ये पैसे दुनिया भर की कंपनियों में निवेश करता है। इसी तरह कई अन्य AMCs भी FOF स्ट्रक्चर को अपनाते हैं उदाहरण के लिए DSP, Blackrock फंड्स में निवेश करता है Edelweiss, JP Morgan फंड्स में निवेश करता है Axis, Schroders में निवेश करता है और Aditya Birla AMC, Julius Baer फंड्स में निवेश करता है।
Franklin, Invesco, PGIM, Principal और HSBC जैसे फंड हाउस की पैरेंट कंपनियां अंतर्राष्ट्रीय हैं तो इन्हें अपनी विदेशी कंपनियों के साथ अलाइन रहना पड़ता है। और फिर मोतीलाल ओसवाल और सुंदरम जैसे कुछ अन्य AMC हैं जो अपना खुद का अंतर्राष्ट्रीय फंड ऑपरेट करते हैं जो विदेशों में डोमीसील्ड (अधिवासित) हैं इसलिए ऐसे बहुत सारे वेरिएशन हैं जिनमें ये अंतर्राष्ट्रीय फंड सेट-अप किये जाते हैं। लेकिन अंतर्राष्ट्रीय फंड्स के मामले में इस तरह के फीडर फंड सेट-अप के कई फायदे हैं और इसका एक बड़ा फायदा यह है कि यह भारतीय निवेशकों को ऐसे इन्वेस्टमेंट प्रोफेशनल्स तक पहुंच प्रदान करता है जो विदेशी मार्केट को बेहतर समझते हैं और आपके निवेश किए गए पैसे को बेहतर तरीके से मैनेज कर सकते हैं।
हालांकि, हमें एक और महत्वपूर्ण चीज समझने की ज़रुरत है और यह इन FOF स्कीम्स के एक्सपेंस स्ट्रक्चर से संबंधित है यहां दो फंड्स हैं फीडर फंड जो की एक भारतीय म्यूच्यूअल फंड स्कीम है, जिसमें हम निवेश करते हैं और फिर अंडरलाइंग फंड है, जो कि विदेशी फंड है, जहां आख़िरकार पैसा निवेश किया जाता है। जिसका मतलब है कि फीडर फंड और अंडरलाइंग फंड, इन दोनों फंड्स में ऐसे खर्च होते हैं जिन्हें निवेशक को चुकाना पड़ता है। सितंबर 2018 SEBI सर्कुलर के मुताबिक वे सभी फंड ऑफ़ फंड्स जो सक्रिय तरीके से मैनेज किए जाने वाले इक्विटी फंड्स में निवेश करते हैं, कुल एक्सपेंस रेश्यो के तौर पर 2.25% तक चार्ज कर सकते हैं जिसमें अंडरलाइंग फंड खर्च शामिल हैं।
चूंकि यह 2.25% रेगुलर फंड्स के लिए है इसलिए हम मान सकते हैं कि एक औसत अंतर्राष्ट्रीय म्यूच्यूअल फंड स्कीम का डायरेक्ट प्लान अधिकतम 1.5 से 1.6% होगा अब यह चीज तो साफ़ हो गई है तो चलिए अब एक्सपेंस स्ट्रक्चर के उस हिस्से पर आते हैं थोड़ा पेचीदा और अस्पष्ट है यहां दिखाई गई टेबल, कुछ स्कीम्स के एक्सपेंस रेश्यो का प्रतिनिधित्व करती है यहाँ ध्यान दें कि Franklin और Invesco द्वारा पेश किए गए अंतर्राष्ट्रीय फंड्स में DSP और Edelweiss की तुलना में बहुत कम एक्सपेंस रेश्यो दिखाई दे रहा है।
लेकिन शायद जो नज़र आ रहा है, वास्तव में कुछ और हो सकता है एक्सपेंस रेश्यो में इस अंतर का एक गैर-मानकीकृत रिपोर्टिंग प्रैक्टिस के साथ ज़्यादा लेना-देना है जहां कुछ फंड हाउस जो रिपोर्ट देते हैं उनमें एक्सपेंस रेश्यो में अंडरलाइंग स्कीम के खर्च भी शामिल होते हैं जबकि अन्य अपनी रिपोर्ट में इसे शामिल नहीं करते हैं निवेशकों के तौर पर, इसे समझना काफी पेचीदा और भ्रामक हो सकता है। उदाहरण के लिए Franklin और Invesco स्कीम्स के मामले में हमें उनकी फैक्टशीट में संबंधित क्लॉज को देखना-समझना पड़ा था Invesco फैक्टशीट के मामले में हमें फैक्टशीट के अंतिम दूसरे पन्ने पर संबंधित क्लॉज मिला, जिसमें लिखा था अंडरलाइंग फंड द्वारा चार्ज किए गए कुल रेकरिंग खर्च को छोड़कर जिसका मतलब है कि Invesco द्वारा अपनी फैक्ट शीट में सिर्फ भारतीय स्कीम्स का एक्सपेंस रेश्यो बताया गया है।
लेकिन इसके साथ यह देखना भी अच्छा रहा कि DSP और Edelweiss जैसे फंड हाउस ने स्पष्ट तरीके से दिखाया था कि एक्सपेंस रेश्यो में अंडरलाइंग फंड के खर्च शामिल थे। असल में इन दोनों AMC ने बाकी से एक कदम आगे बढ़ कर अंडरलाइंग स्कीम द्वारा चार्ज की जाने वाली फ़ीस के बारे में भी जानकारी दी हमारी रिसर्च टीम ने एक व्यापक वर्कशीट तैयार की है जिसे आप इस वीडियो के डिस्क्रिप्शन में दिए गए लिंक से डाउनलोड कर सकते हैं। इससे आपको एक्सपेंस रेश्यो से जुड़ी पेचीदगी और अस्पष्टता को दूर करने में मदद मिल सकती है।
यह वर्कशीट आपको ना सिर्फ सभी उपलब्ध अंतर्राष्ट्रीय फंड्स की एक लिस्ट देगी , बल्कि आपको हर फंड का स्ट्रक्चर, अंडरलाइंग स्कीम का नाम, लेटेस्ट एक्सपेंस रेश्यो, क्या एक्सपेंस रेश्यो में अंडरलाइंग फंड के खर्च शामिल हैं या नहीं और फंड की निवेश शैली और पोर्टफोलियो जैसी काफी कुछ जानकारी भी देगी इसलिए इस वर्कशीट को डाउनलोड करें और अगर आपको अभी तक हमारा यह वीडियो पसंद आ रहा है तो ETMONEY यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करना ना भूलें और इस वीडियो को अपने दोस्तों और साथियों के साथ फेसबुक, व्हाट्सऐप और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर करें।
Investing in Specific Geographies
भौगोलिक स्थिति के हिसाब से देखा जाए तो आज अंतर्राष्ट्रीय म्यूच्यूअल फंड्स कई विकल्प देते हैं। अगर हम पूर्व से पश्चिम की ओर देखेंगे तो जापान, चीन, ASEAN देशों, यूरोप, ब्राजील और संयुक्त राज्य अमेरिका में निवेश करने के लिए खास फंड्स हैं।लेकिन अगर आप निवेश के लिए कोई किसी ख़ास देश को नहीं चुनना चाहते हैं .. तो आप उन फंड्स के विकल्प चुन सकते हैं जिन्हें वैश्विक स्तर पर निवेश करना ज़रूरी होता है। जब ग्लोबल फंड्स की बात आती है तो इन ऑल-कन्ट्रीज फंड्स द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सबसे लोकप्रिय बेंचमार्क MSCI वर्ल्ड इंडेक्स, MSCI ऑल कंट्री वर्ल्ड इंडेक्स और S&P ग्लोबल इंडेक्स हैं।
ऐसे 10 अंतर्राष्ट्रीय फंड्स हैं, जो अपने बेंचमार्क के तौर पर इन ग्लोबल इंडेक्स का इस्तेमाल करते हैं। अब जैसा कि हमने इस चैनल पर अपने पिछले वीडियोज में जाना था .. विश्व स्तर पर सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला वैल्यूएशन टूल PE रेश्यो है PE रेश्यो रोज़ाना के निवेशकों के लिए बहुत ही उपयोगी गाइड की तरह काम करता है .. और इसी कारण से ही हमने इन ग्लोबल इंडेक्स के पिछले और अगले PE रेश्यो को संकलित (कंपाइल) किया। यहाँ पर ध्यान दें कि S&P ग्लोबल 1200 इंडेक्स का PE रेश्यो MSCI इंडेक्स से काफी अलग है .. जो यह दर्शाता है कि इनमें से बहुत सारे बेंचमार्क अलग-अलग स्टॉक सलेक्शन कार्यप्रणाली को फॉलो करते हैं .. यह उन अंतर्राष्ट्रीय फंड के प्रदर्शन में भी नज़र आता है जब ये इन बेंचमार्क को पीछे छोड़ना चाहते हैं।
ग्लोबल फंड्स के अलावा कई ऐसे क्षेत्रीय फंड्स हैं जो उभरते हुए मार्केट, यूरोपीय मार्केट में हिस्सा लेते हैं, ASEAN देशों में, एशिया और एशिया पेसिफिक क्षेत्र में निवेश करते हैं। ख़ास तौर पर चीन, ब्राजील और जापान से संबंधित कंट्री फंड्स भी हैं जिस पर भारतीय निवेशक अंतर्राष्ट्रीय फंड्स के ज़रिए एक्सेस पा सकते हैं लेकिन यूनाइटेड स्टेट्स सबसे लोकप्रिय निवेश करने की जगह बना हुआ है और मैं ऐसा इसलिए कह रहूँ कि आप अपनी ओर से थोड़ी सावधानी बरतें क्योंकि वैसे तो कुछ अंतर्राष्ट्रीय फंड्स खुद को एक ग्लोबल फंड के तौर पर बता सकते हैं लेकिन उनके बहुत सारे निवेश यूनाइटेड स्टेट्स में जाना कोई असामान्य बात नहीं है।
उदाहरण के लिए आदित्य बिड़ला सन लाइफ ग्लोबल एक्सीलेंस इक्विटी फंड जो कि ग्लोबल फंड है .. वर्तमान में उसका 79% एसेट, यूनाइटेड स्टेट्स में निवेश किया गया है। एक बहुत ही ज़्यादा विकसित फ़ाइनेंशियल मार्केट होने के नाते जब यूनाइटेड स्टेट्स की बात आती है तो, चुने जाने के लिए कई बेंचमार्क हैं। और हर बेंचमार्क में निवेश भिन्नता होती है। उदाहरण के लिए, NASDAQ 100 सिर्फ तीन सेक्टर्स है – टेक्नोलॉजी, कंज़्यूमर डिस्क्रिशनरी और कम्युनिकेशन और अगर आप यह सोच रहे हैं कि NASDAQ इंडेक्स में कंज़्यूमर डिस्क्रिशनरी जैसे सेक्टर का क्या काम है .. और ऐसा काफी हद तक इस गलत धारणा के कारण है कि NASDAQ में सिर्फ सॉफ्टवेयर कंपनियां हैं। असल में NASDAQ 100 में Pepsico, Walgreens, Marriott International
और कैडबरी चॉकलेट ब्रांड के मालिक Mondelez जैसे कुछ लोकप्रिय नॉन -टेक्नोलॉजी ब्रांड भी शामिल हैं। लेकिन अगर कोई NASDAQ से परे जाकर S&P 500 में देखता है तो उसे इंडेक्स के हिस्से के तौर पर टेक्नोलॉजी के अलावा हेल्थ केयर, मीडिया, एयरोस्पेस और कंज़्यूमर नॉन-ड्यूरेबल्स जैसी काफी ज़्यादा विविधता मिलेगी। इसी तरह, Dow Jones इंडस्ट्रियल एवरेज और Russel यूनिवर्स ऑफ स्टॉक की अलग-अलग बनावट है और इनका इस्तेमाल अक्सर ऐसे फंड्स करते हैं जो यूनाइटेड स्टेट्स में डोमीसील्ड (अधिवासी) हैं। इसलिए कुल मिलाकर देखा जाए तो अंतर्राष्ट्रीय निवेश का मतलब सिर्फ यूनाइटेड स्टेट्स में निवेश करना ही नहीं है। भारतीय कंज़्यूमर्स के लिए कई विकल्प मौजूद हैं और अगर आप सही चयन करते हैं तो इसकी पूरी संभावना है कि आपके अंतर्राष्ट्रीय फंड्स आपके संपूर्ण म्यूच्यूअल फंड पोर्टफोलियो को पूरा करेंगे.
Different Styles of Investing
जहां आपका पैसा जा रहा है, उसकी भौगोलिक स्थिति के अलावा अंतर्राष्ट्रीय फंड्स में हम कई तरह की निवेश शैलियों में से अपनी शैली चुन सकते हैं। इसे 4 अलग-अलग हिस्सों में बाँटा जा सकता है। पहला, वह थीम या सेक्टर जिसमें आप निवेश करना चाहते हैं। हमारे रिसर्च से पता चलता है कि हमारे 44 फंड्स के यूनिवर्स में से 25 फंड्स अपने निवेश करने के तरीके में बहुत डाइवर्स हैं और कई सेक्टर्स में निवेश करते हैं। बाकी 19 फंड्स में आप सीमित तौर पर कोई ख़ास सेक्टर चुन सकते हैं उदाहरण के लिए आप एक ऐसा फंड चुन सकते हैं जो एग्रीकल्चर और एग्री बिज़नेस को पूरा करता हो असल में इस थीम के अंदर 2 फंड्स होते हैं और फिर एनर्जी फंड, गोल्ड माइनिंग फंड, टेक्नोलॉजी फंड्स, रियल एस्टेट, कंज़्यूमर ट्रेंड और यहां तक कि क्लाइमेट चेंज फंड जैसे अन्य थीमेटिक फंड्स हैं एक ऐसा अंतर्राष्ट्रीय मल्टी एसेट फंड भी है जिसे निवेशक सब्सक्राइब कर सकते हैं, और यह है DSP ग्लोबल एलोकेशन फंड.
अब इन अंतर्राष्ट्रीय फंड्स के साथ के अजीब समस्या आ सकती है. वह यह है कि फंड का नाम और और उसके पोर्टफोलियो में क्या है, ये दोनों एक दूसरे से बिलकुल अलग हो सकते हैं उदाहरण के लिए PGIM इंडिया ग्लोबल इक्विटी ऑपर्च्युनिटीज फंड किसी ग्लोबल डायवर्सिफाइड फंड की तरह लग सकता है लेकिन जब हम गहराई में जाकर इस स्कीम के पोर्टफोलियो को देखते हैं तो हमें पता चलता है कि वर्तमान में इसका लगभग 80% एसेट सिर्फ दो सेक्टर – टेक्नोलॉजी और कंज़्यूमर साइक्लिकल में है निवेश शैली के संबंध में दूसरी चीज जिसका ध्यान रखा जाना चाहिए, वह यह है कि क्या यह फंड एक ग्रोथ फंड है या फिर वैल्यू फंड है। हमारे रिसर्च से पता चलता है कि 17 फंड्स ऐसे हैं जो निवेश की ग्रोथ स्टाइल को फॉलो करते हैं .. 7 फंड्स ऐसे हैं जो वैल्यू एप्रोच को फॉलो करते हैं और फिर 16 मिश्रित फंड्स ऐसे हैं जो निवेश की थोड़ी ग्रोथ स्टाइल और थोड़ी वैल्यू स्टाइल को फॉलो करते हैं।
इसलिए अगर आप निवेश की ग्रोथ स्टाइल या वैल्यू स्टाइल या मिश्रित स्टाइल पसंद करते हैं . आपके पास चुनने के लिए कई विकल्प हैं और हमने उस वर्कशीट में निवेश की शैली को भी हाईलाइट किया है, जिस वर्कशीट के बारे में आपको मैं बार-बार बता रहा हूँ। मार्केट कैपिटलाइजेशन वह तीसरी चीज है, जिस पर आपको विचार करना चाहिए अब यह एक ऐसा एरिया है जहाँ बहुत सारे विकल्प नहीं हैं और भारतीय निवेशकों के लिए उपलब्ध ज़्यादातर अंतर्राष्ट्रीय फंड्स, लार्ज कैप कंपनियों में ही निवेश करते रहना चाहते हैं।
असल में, कुछ थीम आधारित फंड्स को छोड़कर, हमें सिर्फ एक अंतर्राष्ट्रीय फंड यानि प्रिंसिपल ग्लोबल ऑपर्च्युनिटीज़ फंड मिला है, जिसका झुकाव स्माल कैप की तरफ है और यह वास्तव में अपने बेंचमार्क के तौर पर MSCI ऑल कंट्री वर्ल्ड स्मॉल कैप इंडेक्स का इस्तेमाल करता है और आखिर में विचार करने लायक चौथी चीज यह है कि फंड एक्टिव तरीके से मैनेज किया जाता है या यह पैसिव फंड है। इन 44 अंतर्राष्ट्रीय फंड्स में से सिर्फ 3 फंड्स ऐसे हैं जिन्हें निष्क्रिय (पैसिव) तरीके से मैनेज किया जाता है यानी वे इंडेक्स आधारित फंड्स हैं और बाकी 41 फंड्स को एक्टिव तरीके से मैनेज किया जाता है अब जब हमने कई तरह के अंतर्राष्ट्रीय म्यूच्यूअल फंड्स को कवर कर लिया है .. तो चलिए देखते हैं कि हम किस तरह से फंड चुनने की ऐसी प्रक्रिया तैयार कर सकते हैं जिससे आप ऐसे फंड्स में बेहतरीन तरीके से निवेश कर सकें।
How to Invest in International Funds
इसमें कोई शक नहीं है कि अंतर्राष्ट्रीय म्यूच्यूअल फंड्स में निवेश करना चाहिए और यह ट्रेंड निवेशकों के बीच तेजी से बढ़ रहा है। इन फंड्स में कई फायदे हैं जिनमें डायवर्सिफिकेशन भारतीय मार्केट के साथ कमजोर आपसी संबंध करेंसी में गिरावट के कारण रिटर्न में बढ़ोतरी और कुछ दिलचस्प निवेश के आइडिया शामिल हैं जो आमतौर पर घरेलू इक्विटी फंड्स में उपलब्ध नहीं होते हैं प्रदर्शन के नज़रिए से देखा जाए तो पिछले 5 सालों में लगभग 75% अंतर्राष्ट्रीय फंड्स ने निफ्टी 50 को मात दी है। तो अब बड़ा सवाल यह है कि ऐसे कौन से तरीके हैं जिनसे निवेशक किसी उचित अंतर्राष्ट्रीय म्यूच्यूअल फंड को फ़िल्टर कर सकता है और चुन सकता है?
अब इसका कोई सीधा फॉर्मूला या तय जवाब नहीं है लेकिन सुझाव यह है कि अंतर्राष्ट्रीय फंड्स चुनते वक्त भी काफी कुछ वही नज़रिया अपनाना पड़ेगा जैसा कि आप घरेलू इक्विटी फंड्स चुनते वक्त अपनाते हैं। तो, आपकी रणनीति कुछ इस प्रकार होनी चाहिए स्टेप 1 यह है कि आपको उन अंतर्राष्ट्रीय फंड्स की सब-केटेगरी की पहचान करनी है जो आपके लिए सबसे सही होगी जिसका मतलब है कि अगर यह एक घरेलू इक्विटी फंड होता, तो हम एक सेक्टोरल फंड चुनने के बजाय शायद मल्टीकैप, फ्लेक्सिकैप या लार्ज कैप फंड पर ध्यान लगाएँगे।
यदि हम इसी नज़रिए के साथ चलते हैं, तो कोई माइनिंग या एग्रीकल्चर फंड्स जैसे थीमेटिक फंड्स के के बजाय एक डाइवर्सिफाइड लार्ज कैप अंतर्राष्ट्रीय फंड ज़्यादा पसंद करेगा हमारी फंड चुनने की प्रक्रिया का दूसरा स्टेप लोकेशन से संबंधित है जापानी, यूरोपीय और ब्राजील के फंड्स ने अतीत में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था और इन हिस्सों से निवेश करने की बहुत ज़्यादा ख़बरें नहीं आ रही हैं। इसका मतलब यह है कि हमारे पास चुनने के लिए अमेरिका, चीन, उभरते हुए मार्केट या ग्लोबल फंड्स बचते हैं। एक बार फिर से यहाँ कोई वरीयता नहीं दी जा रही है लेकिन अगर आप निश्चित नहीं हैं तो शायद ग्लोबल फंड्स का विकल्प चुनने से आपको ज़्यादा डाइवर्सिटी और स्थिरता मिलेगी फंड चुनने का तीसरा मानदंड इसका प्रदर्शन है।
अब, प्रदर्शन के आधार पर अंतर्राष्ट्रीय फंड्स की तुलना करते वक्त थोड़ी सावधानी बरतने की ज़रुरत है क्योंकि इसमें आसानी से गलती हो सकती है। उदाहरण के लिए 2020 के टॉप तीन प्रदर्शन करने वाले फंड्स हैं PGIM इंडिया ग्लोबल ऑपर्च्युनिटीज़ फंड मोतीलाल ओसवाल Nasdaq100 फंड और Edelweis ग्रेटर चाइना फंड लेकिन कंस्ट्रक्ट के नज़रिए से देखा जाए तो ये तीनों फंड्स अलग-अलग मार्केट से संबंधित हैं। एक ग्लोबल फंड है दूसरा US आधारित फंड है जबकि तीसरा चीन केंद्रित फंड है।जब हम प्रदर्शन को देखते तो, हमें फंड की कंसिस्टेंसी को देखना चाहिए और बेंचमार्क के साथ फंड के प्रदर्शन की तुलना करनी चाहिए हमने इस चीज में आपकी मदद करने के लिए, वर्कशीट में सभी अंतर्राष्ट्रीय फंड्स के डायरेक्ट प्लान के पिछले 8 सालों के सालाना प्रदर्शन दिए हैं।
अब हमारा मानना है कि अगर कोई हमारी वर्कशीट के साथ-साथ ऊपर बताए गए तीन स्टेप्स का पालन करता है तो उसे निवेश के लिए 2 या 3 पसंदीदा अंतर्राष्ट्रीय फंड्स मिल जाने चाहिए। हमारा आपके लिए आख़िरी सुझाव यह है कि आपको सिस्टमेटिक इंश्योरेंस प्लान या SIP का इस्तेमाल करते रहने रहना चाहिए, ठीक उसी तरह से जिस तरह आम तौर पर घरेलू इक्विटी के साथ करते हैं। और इसी के साथ हम इस लेखकी समाप्ति पर पहुँच चुके हैं। अगर आपको यह लेख पसंद आया हो तो इसको अपने दोस्तों और मिलने वालों के साथ व्हाट्सऐप, फेसबुक और ट्विटर पर शेयर करें। और अगर आप हमसे कोई सवाल पूछना चाहते हैं तो आप इन्हें नीचे कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं। अपना कीमती वक्त निकालने के लिए धन्यवाद|
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