ज़िन्दगी में कुछ कर दिखाने की शायरी

ना मन्त्रा काम आता है,
ना तन्त्र काम आता है
मंजिल पर पहुँचने के लिए
इच्छाशक्ति नाम का शस्त्र काम आता है।
मैं आसान रास्ते क्यों चुनू
इन पर तो भीड़ बहुत है,
ये साथ तो देते हैं पर
कठिन रास्ते ही पहचान देते हैं।
मेहनत करने वालों की
बात कुछ और ही होती है
उनके जीवन में कभी अमावस्या नहीं
वहां तो सदा चाँदनी रात ही होती है।
हमने सुना हैं कि मरुस्थलों में जल नहीं होता
एकाग्रता से डटकर मेहनत करो
हर कोई असफल नहीं होता
क्या पता तेरे मस्तक पर जीत लिखी हो
कहीं तेरी मेहनत से ये मरुस्थल जमी हरी हो।
जीत के सफर में हार को गले लगना पड़ जाए
जीत मिलने के बाद जीत की कीमत का पता चल जाये
अरे इतना तो मानो, हार के बिना जीत नहीं होती,
मेहनत करने वालो की सदा हार नहीं होती।
गर खुद में है हौसला,
तू तोड़ पत्थर राह अकेला।
मंज़िलों में दुश्वारियाँ हैं
राही तू चल अकेला।
मुश्किलें जो राह मे
तोड़ देती हौसला,
हिम्मत ही साथी है तेरा,
तू तोड़ पत्थर राह अकेला।
हर दिन नयन मे ख़्वाब है,
उसे पूरा कर अकेला।
राही तू चल अकेला,
राही तू चल अकेला।
सफलता और संघर्ष की शायरी

हवाओं का रुख मोड़
बाधाओं को यूं तोड़
दुःख के समंदर में पतवार चलाना है
हौसलों के साथ ही भव पार लगाना है।
हवा हो गर ख़फ़ा
यही है इल्तिजा
हौसलों के साथ
शमा जलाना चाहिए।
बुझने लगे तो हाथ की
ओट लगाना चाहिए।
क़ाफ़िला बढ़ाते हुए
कारवाँ बनाते हुए
हिम्मत से ही सदा
हर मुश्किल से लड़ पायेंगे
हौसलों से आगे बढ़ पायेंगे।
चींटियाँ पंक्तिबद्ध।
कर्म से प्रतिबद्ध।
हौसलों के साथ ही
लक्ष्य को पाने निकलती हैं।
गिरती हैं फिर फिसलती हैं।
कभी ना हारती हैं।
कई जान वारती हैं
मंज़िल को पाके रहती हैं।
हौसलों से आगे बढ़ती हैं ।
वाक़िफ़ तो हो ज़माना हमारी उड़ान से
वो कोई और होंगे जो हारे आसमान से
हौसला गर दिल में है हर दौर गुज़र जाएगा
एक रास्ता बंद हो गए तो और निकल आएगा।
मैं शून्य ही सही, पर एक अदब है
जिंदगी जीने की सबक है मुझमें
हारना तो मैने सीखा है बचपन से
पर हार कर, जीत की कसक है मुझमें।
मंज़िल मेरे तब भी दूर थे।
हालातो से मजबूर थे,
गिर कर चलना,
चल कर गिरना पर दौड़ने कि फ़ितरत है मुझमें,
मैं शून्य ही सही, पर एक अदब है मुझमें।
पहाड़ों से हम दूर खड़े है।
पर यकीनन कई दफ़ा उससे लड़े है,
एक दिन जीत जाएँगे यह सोच।
कई दफ़ा खुद से भिड़े है,
हाँ हारने का शौक़,
और जीतने कि कसक है मुझमें।
मैं शून्य ही सही, पर एक अदब है मुझमें।
आज चलो हम प्रण ले अपनी मंजिल को पाने की
मेहनत करते चलेंगे हरदम डर नहीं कुछ खो जाने की।
आँखों में मंज़िल दिखती है रास्ता खुद बनाऊँगा,
अपनी मंज़िल पूरा कर दुनिया को दिखलाऊँगा।
जुनून भरी शायरी

चाहे जितनी ठोकरें लगे पैर ना पीछे हटाऊँगा,
पैरों से पत्थर को मै चकनाचूर कर जाऊँगा।
अपनी मंजिल को पाने की कसम आज मैं खाता हूँ, पूरा करू मैं मंज़िल को इसलिए शीष झुकाता हूँ।
धैर्य और संयम के साथ मैं जीवन के पथ पर चलता जाऊँगा, मुझे लगता है चलता हुआ ही मैं मंज़िल को पाऊँगा।
असफलता, हताशा व नकामी को मैं पीछे छोड़ता जाऊँगा, सकारात्मक सोच के साथ मैं आगे बढ़ता जाऊँगा।
हे प्रभु दे ऐसी शक्ती लोभ, मोह व स्वार्थ को त्यागू, आत्मबल बढ़ाकर अपनी मैं मंज़िल को पा लूँ।
जब तक जीवन है, तब तक संघर्ष है, जब आप ऊँचाइयों पर पहुँच जाओगे तब लोग आपके संघर्ष का हृदय से सम्मान करेंगें। आपको उत्कर्ष के साथ संघर्ष नहीं छोड़ना है। कभी भी सत्य के साथ समझौता नहीं करना चाहिए, आगे बढ़ो लेकिन अपनी मेहनत एवं ईमानदारी से।
कोशिश तू ज़रूर कर,
पर ध्यान रखना परिंदे को भी
आना पड़ता हैं ज़मीन पर।
ज़िंदगी में हैं मुश्किलें बहुत,
तू जिंदगी जीने की हिम्मत तो कर।
हसरतें भी होंगी पूरी ज़रूर ए दिल,
थोड़ा हौसला तू कर।
न लगा सपनों पर पहरा,
उनको हक़ीक़त में बदलने की कोशिश तो कर।
नदी तलाश लेती है खुद अपना रास्ता,
तू भी नदी बनके बहने की कोशिश तो कर।
बस न फिसलना कभी गलत रास्तों पर,
नेक इरादों के साथ जीने की कोशिश तो कर।
पूरी होगी तेरी हर तमन्ना,
तू नेकी करने की तमन्ना तो कर।
है वक़्त कठिन लड़ना सीखो,
हिम्मत कर के बढ़ना सीखो,
गर संकट है इक पर्वत सा,
तुम पर्वत पर चढ़ना सीखो।
जब काल सामने आएगा,
जब हर मानव घबराएगा,
तुम ऐसे कठिन काल में भी,
बन शूरवीर अड़ना सीखो।
बादल बनकर फटना सीखो
अंगद बनकर डटना सीखो,
लड़ने की हर विद्या सीखो
पर पीछे हटना मत सीखो।
माना कि रातें काली हैं,
हिम्मत को हरने वाली हैं,
तुम काल की काली रातों में
इतिहास नया गढ़ना सीखो।
ये बात सही है
हर चलने वाले को गिरना पड़ता है,
तुम एक बार जो गिर जाओ
तो वापस से उठना सीखो।
जब जीत की बारी आएगी
किस्मत भी खेल दिखाएगी
गर क़िस्मत आड़े आये तो
तुम क़िस्मत से लड़ना सीखो।
पर शूरवीर बढ़ना सीखो,
हे शूरवीर बढ़ना सीखो।
कुछ कर दिखाने की जज्बा शायरी

ठान लिया है शिखर पर,
पहुँचने को हमने।
ना पाँव देंगे कभी
दलदलों में जमने।।
हौसलों को बुलंद करके ,
नित आगे हमें बढ़ना है।
बाधाओं को रौंदकर हमें,
उस शिखर पर चढ़ना है।।
अंतर्मन की ऊर्जा को ,ना देंगे हम कमने।
ठान लिया है शिखर पर पहुँचने को हमने ।।
मेरे चेहरे पर मुस्कान होगा,
कदमों में सारा जहान होगा।
हर इच्छा पूरी होगी मेरी,
जो दिल में मेरा ईमान होगा।।
बाधाएँ नज़र ना आयेगी,
मेरे नज़रों के सामने।
ठान लिया है शिखर पर,
पहुँचने को हमने।।
कभी मुश्किलों के आगे,
अपनी हिम्मत को टूटने मत देना।
जब भी सामना हो मुश्किलों से,
माता-पिता के संघर्ष को याद कर लेना
हर बड़ी मुश्किल आसान हो जाती है,
जब संघर्ष की आँधी आती है।
राह संघर्ष की जो चलता है,
वो ही अपनी किस्मत को बदलता है।
संघर्ष से थकना कभी नहीं,
जीवन में रुकना कभी नहीं।
लड़ते रहना बढ़ते रहना,
संघर्ष सदा ही करते रहना।
लगन मेहनत का उत्कर्ष करो,
मुश्किलों से संघर्ष करो।
लक्ष्य का निष्कर्ष करो,
फिर सफलता पर हर्ष करो।
आगे बढूँगा भाग्य से लड़कर
अपना भाग्य लिखूगा, परिश्रम करूँगा,
क्या पता कि किसी क्षण में
विश्व विजेता सिकंदर बनना लिखा हो,
कहीं समय जाया ना हो जाये
कही कोई और मुझसे पहले
सिकंदर ना बन जाये।
है बहुत समय कुछ कर जाने की,
ख़्वाब न देखो मर जाने की।
जीत के पहले हार तो होती है,
थोड़ा इंतज़ार करो, कुछ कर जाने की।
ये आँखे दिल और दिमाग खुले रखना,
समस्यायें सिर झुका देंगी।
प्रयास करो, किसी कार्य में दिल लगाने की,
है बहुत समय कुछ कर जाने की।
पतझड़ से पौधे सुख नहीं जाते,
हरियाली भी आती फूल भी खिलते हैं।
कुछ ऐसा हाल जमाने की,
है बहुत समय कुछ कर जाने की।
सुना है मुश्किलें इन्सान से बड़ी नहीं होती,
कमी सिर्फ इतना है सीपी
खुद को जगाने की,
है बहुत समय कुछ कर जाने की।
परिश्रम करके बंजर जमीन पर फसल लहराऊंगा
पत्थर में जड़े जमाके फूल खिलाऊंगा
रेगिस्तान में नदियाँ वहाऊंगा,
बादलों को हिला हिला कर वर्षा कराऊंगा
बर्फ को गर्म पसीने से पिघलाऊँगा
मैं मेहनत करके इस जग को हिलाऊंगा।
प्यासे की प्यास मिटाऊंगा,
भूखे को भोजन खिलाऊंगा
नंगे को वस्त्र पहनाऊंगा,
रोते को हंसाऊगा
कर्जदार का कर्ज मिटाऊंगा
गरीब को समृद्धि दिलाऊंगा
छोटों को बड़ों के प्रति संस्कार सिखाऊंगा
बेघरों को घर, अनाथों को सनाथ बनाऊँगा
सैनिकों का साहस बढ़ाऊंगा,
पुण्य को स्थापित कर पाप मिटाऊगा।
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